आज मैं आपसे #हरिद्वार की ही एक ऐसी धर्मशाला की जानकारी साझा कर रहा हूँ, जहाँ मध्यम वर्गीय यात्री सिर्फ 100 रुपये मे 2 व्यक्ति रात्रि विश्राम कर सकते हैं वो भी रूम मे, जी हाँ ये हरिद्वार मे स्थित हर की पैड़ी कोतवाली के पास लखनऊ धर्मशाला ट्रस्ट है जो कि बहुत ज्यादा साफ सुथरी जगह है, जो कि पहले निशुल्क थी लेकिन 2019 से सिर्फ 100 रुपये maintienence के रूप मे लिए जाते हैं, यहाँ के नियम बहुत सख्त हैं आप इनकी लिस्ट मे देख लेना, इसीलिए यहाँ सफाई रहती है, अब कुछ जानकारी यहाँ पहुँचने की बताता हूँ, जब आप हरिद्वार रेलवे station से हर की पैड़ी तरफ जायेंगे तो आपको इसी धर्मशाला के सामने से ही गुजरकर जाना होता है , या फिर यहाँ जाने के लिए हर की पैड़ी कोतवाली पास है जो कि सिर्फ 100 मीटर दूर है जो कि आप किसी से पूछ के आ सकते हैं, यहाँ पर सिर्फ 100 रुपये मे रूम दिया जाता है जिसमे 2 व 3 लोग रात्रि विश्राम कर सकते हैं, 100 रुपये सिर्फ मैंटिनेंस चार्ज के रूप मे बस लिए जाते हैं ताकि यहाँ की सफाई अच्छी हो सके, ये बिल्कुल साफ सुथरी धर्मशाला है क्यों कि यहाँ के नियम थोड़े सख्त हैं इसलिए यहाँ सफाई रहती है, यहाँ 3 बेड व 4 बेड वाला सिस्टम नहीं है सब डबल बेड वाले ही सारे रूम हैं और कोई भी रूम मे अटैच बाथरूम नहीं है,यहाँ रूम न ही online बुक होंगे, न ही फोन के द्वारा, कोई यहाँ पर आयेगा तो रूम खाली होंगे तो मिल जाते हैं,, धन्यवाद 🙏🙏जय माँ गंगे 🙏🙏
दिनांक 14 /12 /2023 को हम नर्मदा एक्सप्रेस से रात 11:00 बजे जबलपुर पहुंचे चुकी रात अधिक हो गई थी अतः हमने अपने होटल पहुंचने के लिए एक ऑटो बुक किया जो ₹200 में हमें हमारे होटल सत्यम रेजिडेंसी प्रेम नगर पोस्ट ऑफिस के पास तक ले गईl
होटल बहुत खूबसूरत था और आसपास बहुत शांति थी होटल वाले से हमने बारगेनिंग करके तीन दिन के लिए₹2500 में डबल बेड नान इसी रूम बुक किया वहां पहुंचने से पहले हमने फोन करके पूछ लिया था होटल वाले द्वारा रूम खाली होने की जानकारी दी गई थी (होटल का नंबर 0761 470 1100)
दिनांक 15 /12/2023 से हमने अपनी ट्रिप चालू की हम सुबह 9:00 बजे प्रेमनगर पोस्ट ऑफिस बस स्टॉप तक लगभग डेढ़ सौ मीटर पैदल गए वहां से हमें भेड़ाघाट के लिए मेट्रो बस मिल गई जिसने हमें₹35 प्रति यात्री के हिसाब से भेड़ाघाट धुआंधार जलप्रपात के पास पहुंचा दिया, धुआंधार जलप्रपात में हमने लगभग 3 घंटा बिताया, वहां से ऊपर जाकर रोपवे पॉइंट पर जाकर प्रति व्यक्ति 145 रूपए के दर से रोपवे का टिकट लिया तथा धुआंधार जलप्रपात के दूसरी ओर जाकर लगभग दो घंटा बिताया वापस आकर हमने पंचवटी नौका विहार के लिए ऑटो लिया जिसने हमें₹10 प्रति व्यक्ति के दर से पंचवटी नौका विहार पॉइंट तक पहुंचा दिया, पंचवटी में हमने 150 रुपए प्रति व्यक्ति के दर से नौका विहार का आनंद लिया, नौका विहार मार्बल राक के बीच बहने वाली नर्मदा नदी में बंदर कूदनी पॉइंट तक कराया जाता है, नौका विहार के समय कॉमेडी युक्त कामेट्री भी किया जाता है , इसी पॉइंट पर फिल्म प्राण जाए पर वचन न जाए, खून भरी मांग, मोहनजोदड़ो, अशोका फिल्म की शूटिंग भी हुई थी। पंचवटी नौका विहार पॉइंट से आने के पश्चात हमने 64 योगिनी मंदिर तक पैदल लगभग 300 मी की दूरी तय की 64 योगिनी मंदिर एक बहुत प्राचीन मंदिर है जिसमें शिव पार्वती की नंदी में बैठे हुए में मूर्ति स्थापित है, तथा चारों ओर गोलाकार परिक्रमा में 64 योगिनियों की मूर्ति स्थापित है बताया जाता है कि संसद भवन का डिजाइन यहीं से लिया गया था। मंदिर दर्शन करने के पश्चात शाम को वहीं से हमें मेट्रो बस मिल गई तथा हम प्रेम नगर बस स्टॉप पर आकर अपने होटल पहुंच गए इस प्रकार पहले दिन की यात्रा पूरी हुई।
दूसरे दिन सुबह हम प्रेमनगर नगर बस स्टॉप से शारदा चौक तक लाइन ऑटो में बैठकर पहुंचे वहां से लगभग 1 किलोमीटर पैदल चलकर बैलेंसिंग रॉक, मदनमोहन फोर्ट , देखा और शारदा मंदिर में दर्शन किये, वहां से फिर पैदल शारदा चौक तक आए शारदा चौक में हमने एक ऑटो 150 रुपया में बुक किया जो हमें कचनार सिटी शिव टेंपल तक छोड़ दिया, कचनार सिटी में भारत की दूसरी सबसे बड़ी शिव प्रतिमा है,
वहां से हमने बरगी डैम जाने का प्लान बनाया किंतु वहां तक जाने का साधन एवं जानकारी नहीं मिल पाया, तब हमने भेड़ाघाट दोबारा जाने का निर्णय किया तथा सिटी बस (यहां सिटी बस को मेट्रो बस के नाम से जाना जाता हैं) मैं बैठकर भेड़ाघाट के नौका विहार पॉइंट पंचवटी में उतर गए यहां से हमने 100 रुपए प्रति व्यक्ति के दर से नौका विहार का आनंद लिया पंचवटी में नौका विहार भेड़ाघाट का सबसे प्रमुख आकर्षण है क्योंकि नर्मदा नदी संगमगमारो के चट्टानों से होकर बहती है, इसको देखना एक अद्भुत अनुभव है। पंचवटी पॉइंट से वापस आकर हम ऑटो में बैठकर पुनः धुआंधार जलप्रपात के रोपवे पॉइंट पर पहुंचे तथा रोपवे का टिकट लेकर नर्मदा नदी के दूसरे पार पहुंचे, वहां से न्यू भेड़ाघाट दर्शन के लिए छोटी गाड़ियां चलती हैं जो बुकिंग में कम से कम प्रति व्यक्ति 150 या600 मैं पूरी गाड़ी बुक करती है हमने वहां से न्यू भेड़ाघाट तक पैदल जाने का निश्चय किया तथा थोड़ी दूर आधा किलोमीटर पैदल चले, आधा किलोमीटर बाद टर्निंग पर हमें चाय की दुकान दिखाई दी , उससे हमने न्यू भेड़ाघाट का रास्ता पूछा, उसने हमें₹100 में अपने बाइक देने का प्रस्ताव दिया हम उसकी बाइक लेकर लगभग 1.5किमी तक का सफर किया, न्यू भेड़ाघाट मैं हमने 2 घंटा समय बिताया, न्यू भेड़ाघाट अपने आप में अद्भुत है, यहां नर्मदा नदी संगमरमर चट्टानों के बीच होकर गुजरती है जिसका पूरा व्यू देखा जा सकता है भेड़ाघाट आने वालों को न्यू भेड़ाघाट जरूर जाना चाहिए क्योंकि सबसे अधिक प्राकृतिक, एवं नैसर्गिक दृश्य यही दिखाई देते हैं
वहां से शाम को हम मेट्रो बस पॉइंट पर आए वहां पता चला कि आज मेट्रो बस रैली के कारण कैंसिल है तब हमने लाइन ऑटो पकड़कर गोरखपुर छोटी लाइन चौराहा तक आए आए, वहां से गवारीघाट के लिए लाइन ऑटो मिलती है हम लाइन ऑटो पकड़कर ग्वारीघाट पहुंचे तथा संध्या आरती में भाग लिया दीपदान किया और नाव में बैठकर उस पार स्थित गुरुद्वारा पहुंचे वहां हमने कुछ समय बिताया एवं लंगर खाया वापस नाव से आकर नदी के बीच बने नर्मदा मंदिर में पूजा किया तत्पश्चात पुनःलाइन ऑटो पकड़कर छोटी लाइन चौक आए वहां से फिर लाइन ऑटो पकड़कर प्रेम नगर चौंक आकर अपने होटल में गए इस प्रकार दूसरे दिन का यात्रा पूरा हुआ।
तीसरे दिन प्रेम नगर चौक से लाइन ऑटो पकड़कर,,पिसनहारी की मडिया "" पहुंचे, संपूर्ण परिसर बहुत ही खूबसूरत है तथा दर्शनीय है, यह जगह जैन धर्म से संबंधित है नीचे महावीर स्वामी का जिनालय है तथा ऊपर जैन धर्म के तीर्थंकर एवं संतों से संबंधित मंदिर है, यह मंदिर एक चक्की पीसने वाली महिला ने बनवाया था जिसकी पूरी कहानी मंदिर परिसर में चित्रित है ऊपर पहाड़ी पर मंदिर क्रमांक 3 के शिखर में लगभग 650 साल पूर्व उस महिला द्वारा उपयोग की जाने वाली चक्की को जड़ दिया गया है, यहां एक धर्मशाला भी है, जो रुकने के लिए अच्छी जगह है।
यहां लगभग हम लोगों ने 2 घंटा समय बिताया वहां से हमने एक ऑटो बुक कर डुमना नेचर पार्क गए तथा वहां लगभग 4 किलोमीटर पैदल पार्क में भ्रमण किया किंतु हमें बंदर छोड़कर कोई भी जानवर नहीं दिखा पार्क के अंतिम छोर में एक जलाशय खडारी लेक है, जिसमें एक डेम (खंडारी डेम) है जिसका निर्माण 1884 में हुआ था, बरसात के समय यहां एक वॉटरफॉल बनता है किंतु अभी सुखा था, यह जगह केवल बरसात में आने लायक है, यहां एक डीजल इंजन से चलने वाली छुकछुक ट्रेन है, जिसमें भ्रमण का टिकट दर 10 रुपए है। पार्क में घूमने के पश्चात शाम को हम उसी ऑटो में बैठकर ""घंटाघर""रानी दुर्गावती संग्रहालय नेपियर टाउन के पास, भंवरलाल गार्डन, का भ्रमण किया, रानी दुर्गावती संग्रहालय संग्रहालय देखने लायक है, तथा भंवरताल गार्डन बहुत खूबसूरत गार्डन है जबलपुर में यह भी एक देखने लायक खूबसूरत जगह है, उसी ऑटो में बैठकर होटल काउंटर से हमने अपना सामान लिया, क्योंकि चेक आउट हम लोगों ने सुबह ही कर दिया था। उसी ऑटो से हम जबलपुर रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म 6 पर पहुंचे तथा दिनभर ट्रिप का 950 रुपए ऑटो वाले को दिए जबलपुर रेलवे स्टेशन में हमें बरगी दम तक जाने वाली मेट्रो बस दिखा, अर्थात रेलवे स्टेशन से बरगी डैम के लिए मेट्रो बस चलती है।
क्योंकि हमारी ट्रेन पेंड्रा रोड के लिए अमरकंटक एक्सप्रेस लेट थी हम लोग नमह प्रतीक्षालय में पहुंचे वहां एसी टिकट धारी के लिए 10 रुपए प्रति घंटे में सर्व सुविधायुक्त प्रतीक्षालय है तथा स्लीपर टिकटधारी के लिए नानएसी निशुल्क प्रतीक्षालय है चूंकि हमारी टिकट 3एसी की थी हमने वहां चेक इन किया तथा रात को अमरकंटक एक्सप्रेस से बैठकर सुबह पेंड्रा रोड पहुंचे इस प्रकार हमारी तीसरे दिन की यात्रा पूरी हुई।
सुबह पेंड्रारोड से शेयरिंग टैक्सी में 30 किमी अमरकंटक पहुंचे, वहां बस स्टैंड से लेकर नर्मदा मंदिर तक लगभग 2 किलोमीटर के रोड में बहुत सारे धर्मशालाएं दो-तीन धर्मशालाओं में रूम फुल होने की जानकारी होने के पश्चात हमें मृत्युंजय आश्रम में 600 रुपए में रूम मिल गया, रूम में पहुंचकर नहा धोकर हमने अमरकंटक बाइक से घूमने का प्लान किया किंतु गूगल नेट में बाइक रेंट पॉइंट सभी फर्जी निकले कहीं पर भी बाइक रेंट का बोर्ड नहीं दिखा बहुत पूछने के पश्चात नर्मदा डेयरी में (यात्री निवास के बगल में फोन न +91 62607 40428 )हमें बाइक रेंट 550 रुपए में शाम 5:00 बजे तक के लिए मिल गई।
बाइक से सर्वप्रथम हम नर्मदा मंदिर परिसर पहुंचे वहां दर्शन के पश्चात श्री यंत्र मंदिर, सोनगुढा (सोन नदी का उद्गम एवं वॉटरफॉल), माईकी बगिया, सर्वोदय जैन मंदिर (विश्व की सबसे वजनी अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा), कपिलधारा वॉटरफॉल, दूधधारा वॉटरफॉल, कबीर चबूतरा (सतगुरु कबीर साहब 1569 में बांधवगढ़ से पुरी जाते समय यहां पर रुके थे और कबीर चबूतरा में संतो के साथ सत्संग किए थे ), कबीर सरोवर, आरंडी गुफा
इत्यादि का भ्रमण करते हुए शाम 5:00 बजे बाइक वापस करके पैदल ही मार्केटिंग और खाना खाकर आश्रम में विश्राम किया। अमरकंटक में दूसरे दिन दोपहर 2:00 बजे तक नर्मदा मंदिर परिसर, एतिहासिक पुरातात्विक मंदिर समूह( कर्णेश्वर मंदिर समूह पातालेश्वर मंदिर,शिवमंदिर,विष्णु मंदिर जुहिला मंदिर सूरजकुंड पचमठा मंदिर सभी मंदिर आठवीं से 12वीं शताब्दी के मध्य में कलचुरी शासको द्वारा बनवाया गया था, सूरजकुंड में नर्मदा नदी का उद्गम आदि शंकराचार्य ने निश्चित किया था,,) का भ्रमण किया तथा उसके पश्चात बस स्टैंड आकर 3.15 की बस पकड़ कर शाम 7:00 बजे बिलासपुर पहुंच गए। इस प्रकार जबलपुर और अमरकंटक की यादगार यात्रा संपन्न हुई।
स्टैचू ऑफ यूनिटी : विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा
स्टैचू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। गुजरात में स्थित यह प्रतिमा विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है, जिसे विश्व के आठ अजूबों में शामिल किया गया है।
प्रतिमा के अंदर 135 मीटर की ऊंचाई पर पर्यटनो के लिए एक दर्शक गैलरी है जिसकी क्षमता 200 सैलानियों की है। इसके पैडस्टल भाग पर एक विशाल प्रदर्शनी हॉल है जिसमें सरदार पटेल के जीवन के बारे में विवरण, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उनके संघर्ष, रियासतों के विलय, जनजातीय लोगों के जीवन-संस्कृति और सरदार सरोवर बांध को तस्वीरों और फिल्म के जरिए प्रदर्शित किया गया है।
यहां एक लेजर शो भी शाम को आयोजित होता है जिसमें सरदार पटेल के जीवन, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उनके संघर्ष और रियासतों के विलय का प्रदर्शन किया जाता है।
पर्यटक 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के साथ केवड़िया के कुछ अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर प्राकृतिक नजारा देखने का आनंद भी ले सकते हैं। जैसे कि विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा, सरदार सरोवर बांध, वैली ऑफ फ्लावर, लेजर लाइट शो, जू सफारी पार्क, सरदार पटेल म्यूजियम, ग्लो गार्डन इत्यादि जगहों पर घूमने का आनंद ले सकते हैं। और साथ में केवड़िया के फेमस सैलानियों के लिए स्पोर्ट्स एक्टिविटीज जंगल सफारी नौका विहार साइकलिंग इत्यादि का आनंद ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे केवड़िया
फिलहाल एयरपोर्ट और रेल लाइन के लिए वडोदरा सबसे नजदीक है। यह केवड़िया से 89 किमी दूर है। यहां से आप सड़कमार्ग के जरिए केवड़िया पहुंच सकते हैं। इसके अलावा भरूच भी नजदीक रेलवे स्टेशन है। अगर आप अहमदाबाद से आएंगे तो आपको 200 किमी की दूरी तय करनी होगी।
केवड़िया से सरदार पटेल स्टैचू पहुंचने के लिए
केवड़िया पहुंचने के बाद आपको साधु आइलैंड तक आना होगा। केवड़िया से साधु आइलैंड तक 3.5 किमी तक लंबा राजमार्ग भी बनाया गया है। इसके बाद मेन रोड से स्टैचू तक 320 मीटर लंबा ब्रिज लिंक भी बना हुआ है।
दो कैटिगरी में मिलेगा टिकट
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मंगलवार से रविवार तक सुबह 8:00 बजे खुलती है और शाम 6:00 बजे बंद हो जाती है। सोमवार के दिन ये बंद रहता है । यहांजाने के लिए आप ऑनलाइन टिकट बुक करा सकते हैं। इसके लिए आप https://www.soutickets.in से ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं। यहां आपको दो कैटिगरी दिखाई देगी। डेक व्यू और एंट्री टिकट। स्टैचू ऑफ यूनिटी में 3 साल से कम बच्चे के लिए एंट्री मुफ्त है ।
-डेक व्यू का टिकट खरीदने के लिए आपको 350 रुपये का भुगतान करना होगा। इसमें ऑब्जर्वेशन डेक में एंट्री के साथ, वैली ऑफ फ्लावर, सरदार पटेल मेमोरियल, म्यूजियम, ऑडियो-विजुअल गैलरी के साथ स्टैचू ऑफ यूनिटी साइट और सरदार सरोवर बांध घूम सकते हैं।
-वहीं एंट्री टिकट 3 से 15 साल के बच्चों के लिए 60 रुपये है। वहीं बड़ों के लिए इस टिकट की कीमत 120 रुपये है। इस टिकट से आप वैली ऑफ फ्लावर, मेमोरियल, म्यूजिम और ऑडियो-विजुअल गैलरी के साथ सरदार सरोवर डैम का लुत्फ उठा सकते हैं।
-अगर आपने एंट्री या डेक व्यू टिकट खरीदा है तो बस के लिए अलग से किराया नहीं देना होगा। एंट्री टिकट में 30 रुपये बस का किराया अपने आप जुड़ जाता है।
सेल्फी पॉइंट
प्रतिमा के पास 5 किमी के दायरे में सेल्फी पॉइंट बनाया गया है जो यहां का प्रमुख आकर्षण है। इसे वैली ऑफ फ्लावर के रूप में विकसित किया गया है।
हाई स्पीड लिफ्ट की सुविधा
पर्यटकों के लिए स्वागत के लिए गुजरात सरकार ने सरदार पटेल स्टैचू कॉम्प्लेक्स में शॉपिंग सेंटर और एक रिसर्च सेंटर भी बनवाया है। इसके अलावा मूर्ति के पैरों में हाई स्पीड लिफ्ट भी लगाई गई हैं जिसके जरिए आप 400 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर प्रतिमा के दर्शन कर सकेंगे।
स्टेचू ऑफ यूनिटी में घूमने लायक कई सारे खूबसूरत पर्यटन स्थल मौजूद है। जैसे के सरदार सरोवर बांध, जंगल सफारी, बटरफ्लाइ गार्डन, ग्लो गार्डन, सरदार पटेल म्यूजियम, कैक्टस गार्डन इत्यादि स्थानों के साथ क्रूज बोट, रिवर क्रूज, रिवर राफ्टिंग, कपल साइकलिंग साड़ी साइकलिंग जैसी स्पोर्ट्स एक्टिविटीज का भी आनंद ले सकते हैं।
जिस वक्त खड़ा था मैं, ग्लास ब्रिज (राजगीर) पे उस वक्त मैं एक अलग अनुभव से गुजर रहा था, एक सुंदर बेहतर एहसास था मेरे लिए।
क्या है इसकी खासियत
- 200 फीट ऊंचा, 85 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ा है यह ग्लास ब्रिज।
- एक बार में 40 पर्यटक जा सकते हैं।
- चीन के हांगझोऊ प्रोविंस की तर्ज पर बना है।
- देश का दूसरा और पूर्वोतर भारत का पहला ग्लास ब्रिज है।
- गौतम बुद्ध की विरासत वाली राजगीर नगरी में स्थित है।
- राजगीर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थली है।
- ग्लास ब्रिज के साथ आप नेचर सफारी, रोप-वे साइकलिंग भी कर सकते हैं।
राजगीर में मुझे यह अच्छा लगा कि यहां सब कुछ सस्ता है सारे एक्टिविटी करने के बावजूद भी बहुत कम पैसे खर्च होते हैं। कुछ टूरिस्ट प्लेस पर तो लूट मची हुई है, गुंडागर्दी भी देखने को मिलता, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है राजगीर में। राजगीर घूमने का सबसे बेस्ट टाइम है, नवंबर से अप्रैल के बीच।
राजगीर के और बेहतर जानकारी के लिए कृपया यूट्यूब पर सर्च करें हजारों वीडियो उपलब्ध हैं इसके लिए।
शांति स्तूप.जरासंध का अखाड़ा ..रोपवे सबसे पुराना एक सीट वाला जो देवानंद k फिल्म में है..और सबसे महत्वपूर्ण गर्म कुंड जो सालोभर गर्म रहता है ..नहाने में मजा ही आ जाता है
आदि कैलाश और ॐ पर्वत उत्तराखण्ड के पिथोरागढ़ जिले में भारत नेपाल और तिब्बत बॉर्डर पर स्थित है. आदि कैलाश छोटा कैलाश नाम से भी जाना जाता है, यह पंच कैलाश में से एक है.
दोनो ही पर्वतो का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस यात्रा को करने के लिए हर साल भारत के अलग अलग जगहों से बहुत सारे श्रद्धालु आते है.
कुल समय: हल्द्वानी/ काठगोदाम से 8 दिन 7 रात.
कार्यक्रम की तारीख:
यात्रा प्रेमी ग्रुप के सदस्यों के लिए इस वर्ष मई जून और सितंबर अक्टूबर के महीने में कुल 4 ग्रुप कराएंगे, हर ग्रुप में अधिकतम 22 सदस्य आ पाएंगे,आप अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी ग्रुप में आ सकते है.
पहला ग्रुप 20 मई से 27 मई.
दूसरा ग्रुप 10 जून से 17 जून.
तीसरा ग्रुप 25 सितम्बर से 2 अक्टूबर.
चौथा ग्रुप 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर.
पिक अप प्वाइंट: हल्द्वानी/काठगोदाम
ड्रॉप प्वाइंट: हल्द्वानी/काठगोदाम
सफर का साधन: 4 दिन टेम्पो ट्रैवलर, और 4 दिन बोलेरो कैंपर 4*4, इसुजु, और स्कॉर्पियो.
पूरी यात्रा में घूमने के डेस्टीनेशन और देखने लायक जगहें:
भीमताल, कैंची धाम, चितई गोलू देवता मंदिर, जागेश्वर धाम, भारत-नेपाल बॉर्डर धारचूला,
आदि कैलाश , शिव पार्वती मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरी कुंड, ब्रह्मा पर्वत कुटी गांव, पांडव किला, पांडव पर्वत, पार्वती मुकुट, ॐ पर्वत, काली माता मंदिर कलापानी, व्यास गुफा, शेषनाग पर्वत.
घूमने का सबसे अच्छा समय: मई जून, और सितंबर, अक्तूबर.
ठहरने की व्यवस्था: साफ सुथरे होटल और होमस्टे.
खाने की व्यवस्था:
पूरी यात्रा में शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलेगा.
यात्राक्रम:
दिन 1: यात्रा सुभारंभ सुबह 7 बजे हल्द्वानी/काठगोदाम से टेम्पो ट्रैवलर द्वारा करेंगे.
सुबह का चाय नाश्ता 8 बजे भीमताल में करेंगे.
नास्ते के बाद बाबा नीम करोली आश्रम कैंची धाम के दर्शन करते हुए दिन में अल्मोड़ा पहुचेंगे और लंच अल्मोड़ा में करेंगे. लंच के बाद चितई गोलू देवता के दर्शन कर शाम तक जागेश्वर होटल पहुचेंगे.
(कुल यात्रा 140 किलोमीटर)
शाम को जागेश्वर में 1 घंटे का इंट्रोडक्शन प्रोग्राम रहेगा.
दिन 2: सुबह 7 बजे ग्रुप के सभी सदस्य जागेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए जाएंगे, और दर्शन करने के बाद ब्रेकफास्ट करेंगे और फिर अगले पड़ाव पिथोरागढ़ के लिए निकल लेंगे(90km)
पिथोरागढ़ में इनर लाइन परमिट के लिए मेडिकल चैकअप और सारी औपचरिकता कर लेंगे.
दिन 3: सुबह ब्रेकफास्ट के बाद पिथोरागढ़ से धारचूला के लिए निकलेंगे, और उसी दिन शाम तक हम नाबी गांव पहुंच जाएंगे.(कुल यात्रा 170 किलोमीटर)
दिन 4: सुबह 7 बजे से पहले हम होमस्टे से ज्योलिंगकोंग के लिए निकल लेंगे, नाबी गांव से ज्योलिंगकोंग की दूरी लगभग 42 किलोमीटर है. यहा से भव्य आदि कैलाश के दर्शन होते है. पार्वती सरोवर और गौरी कुंड के लिए कुल 4 किलोमीटर का पैदल मार्ग तय करना पड़ता है.
यहां आस पास की सारी जगहें घूम कर और वही लंच करने के बाद शाम तक नाबी गांव वापस आ जाते है.
दिन 5: इस दिन हम सुबह होमस्टे से ॐ पर्वत के दर्शन के लिए निकलेंगे, और उसके बाद शाम तक नारायण आश्रम पहुंच जाएंगे.(कुल यात्रा 110 किलोमीटर)
दिन 6: सुबह ब्रेकफास्ट के बाद धारचूला के लिए निकलेंगे, धारचूला पहुंच कर यहां से नेपाल घूमने जायेंगे.
दिन 7: धारचूला से सुबह 8 बजे पाताल भुवनेश्वर के लिए निकलेंगे, और शाम तक वहां पहुंच जाएंगे, शाम को ही पाताल भुवनेश्वर गुफा के दर्शन कर लेंगे.( कुल दूरी 140 किलोमीटर)
दिन 8: सुबह ब्रेकफास्ट के बाद हम काठगोदाम/ हल्द्वानी के लिए निकलेंगे और शाम को काठगोदाम/हल्द्वानी पहुंच कर हमारी यात्रा का समापन हो जाएगा.
वहां से यात्रा की अच्छी यादे ले कर सब अपने घर को वापस चले जाएंगे.
यात्रा की लागत: 35,000 प्रति व्यक्ति.
पैकेज में शामिल:
•ट्रांसपोर्टेशन हल्द्वानी से हल्द्वानी तक.
•जागेश्वर, पिथोरागढ़, धारचूला, पाताल भुवनेश्वर में डबल शेयरिंग होटल/रिजॉर्ट.
नाबी में क्वाड शेयरिंग होमस्टे.
और नारायण आश्रम में क्वाड शेयरिंग रूम.
•पूरी यात्रा के दौरान सुबह की चाय, ब्रेकफास्ट, लंच,शाम का चाय नाश्ता और डिनर.
• कुछ जगहों पर शाम को बोनफायर और हल्के संगीत की व्यवस्था.
• इनर लाइन परमिट
• सभी प्रकार की इंट्री फीस/ परमिट फीस.
• यात्रा के दौरान अनुभवी ग्रुप लीडर और लोकल गाइड
• फर्स्ट एड किट
• ऑक्सीजन सिलेंडर
इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा वो सदस्यों का अपना होगा.
आप अपनी बुकिंग 5000 रुपए दे कर करवा सकते है, शेष राशि यात्रा शुरू होने से पहले 15 दिनों में जमा करवानी होगी.
अधिक जानकारी के लिए आप Dhami Naresh 7088043328 इस नंबर पर संपर्क कर सकते है.
ઉજ્જૈન માં બધાજ મંદિર બહુ મસ્ત છે..ત્યાંથી થી દેવાસ શક્તિપીઠ છે ચામુંડ માનું ત્યાંથી ઈન્દોર ખજરના ગણેશ મંદિર..રજવાડા...56 સ્ટોલ એક દિવસ ઇન્દોર ફરવું...ત્યાંથી ઓમકારેશ્વર ને મમલેશ્વર.. દર્શન કરીને રાતે આરતી કરવી..ગજાનન સંસ્થા માં રોકવું બહુ મસ્ત જગ્યા છે...બીજા દિવસે નીકળી મંડલેશ્વર શિયારામ બાપુ નો આશ્રમ છે..જ્યાં બાપુ 120 વરસના છે તોય નરી આંખે રામાયણ વાંચી સંભળાવે છે.. વરસો થી પ્રસાદી આપે તોય વાડકા માંથી ખાલી નહી થતો..ત્યાંથી મહેશ્વર જવું. બહુ શાંતિ પ્રિય જગ્યા છે..એક દિવસ રોકવું. ઘાટ ની બાજુમાં જ હોટેલ રાજ પેલેસ બહુ સરસ છે..નર્મદા શનાન કરવું. અહલ્યા બાઇ નો કીલ્લો જોવો ઘાટ પર જવું..ને કાશી વિશ્વનાથ મંદિર નાં દર્શન કરવા..બોટિંગ કરવી..મહેશ્વર મા પણ બહુ મંદિર છે તે જોવા લાયક છે..ત્યાંથી 10. કિલોમીટર પછી સહસ્ત્ર ધારા છે નર્મદા ની સામે જલકોટી મંદિર છે તે જોવું..સહસ્ત્ર ધારા મ ન્હાવાનો મહિમા બહુ સરસ છે ત્યાંના લોકો સમજાવશે...અને મહેશ્વર ની સાડી તો લેવીજ પડે હાથ વણાટ ની બહુ મસ્ત હોય છે..ત્યાંથી પછી માંડું જહાજ મ્હેલ એ પણ બહુ મસ્ત છે ત્યાં પણ ઘણા મહેલ 6 જોવા લાયક... ઈન્દોર થી ઓમકારેશ્વર પર બીજા રસ્તે જામ ગેટ પણ આવે છે હિલ સ્ટેશન છે.. બહુ સરસ રુટ પકડ્યો છે તમે મનને શાંતિ મળે એવી જગ્યાઓ છે..ઓમકારેશ્વર જાઓ ત્યારે ભૈરવ ઘટી પર ઘ્યાન થી ચલવજો બહુ ડેન્જર રસ્તો છે... તમારી યાત્રા શુભ રે .. જય મહાકાલ....🙏🙏🙏🙏🙏
જો સમય હોય તો એક આખો દિવસ તમે ઉજૈન અને તેની આસપાસ ના સ્થળો જોવા માટે ફાળવજો.
ઉજૈન માં મહાકાલેશ્વર મહાદેવ 🙏, કાલભૈરવ મંદિર, ક્ષિપ્રા નદી જ્યાં કુંભમેળો ભરાય છે, જ્યાં કૃષ્ણ ભગવાન 🙏 ભણ્યા હતાં એ સાંદિપની ઋષિ નો આશ્રમ નાગચંન્દેશ્વર મંદિર, નગર કોટની રાની મંદિર વગેરે અનેક સ્થળોનાં દર્શન કરવા જેવું છે.
સાથે ક્ષિપા નદી ને કિનારે આવેલું શનિદેવ મંદિર , અવંતી પાર્શ્વનાથ જૈન દેરાસર ને માણીભદ્ર વીર મંદિર પણ જોવા લાયક છે,
હાલ બધી જગ્યાએ કાર્તિક મેળો ચાલુ છે.તો તમે 3 નાં 5 દિવસ ફરસો તો મજા આવશે ..રાતે આરતી હરસિદ્ધિ ની રામ ઘાટ ની ઓમકારેશ્વર પણ આરતી થાય છે રાતે એનો લ્હાવો લેજો ઉજ્જૈન માં પ્રાચીન મંદિરો છે.એક વાર મોકો મળે તો બધા જોઈ લેજો..ગોપાલ મંદિર તો બહુ સરસ છે..તે ખાસ જોજો..ઓમકારેશ્વર ની શયન આરતી ખાસ છે..મોકો મળે તો કરજો...અને હા દાલ બાફલા લાડુ ની મોજ અલગથી...ખરેખર બહુ સારી જગ્યાએ જાવ છો..દિવસ ની ચિંતા નાં કરતા વધુ દિવસ ફરવાની મજા આવશે.. ઉજ્જૈન માં ગઢકલિકા...મંગળ નાથ.. કાલ ભૈરવ... સાંદિપની આશ્રમ..... ભૃથહરી ગુફા...ગેબી હનુમાન... ચિંતામણી ગણેશ..ભારત મંદિર રામ ઘાટ ..કોરિડોર ઘણું જોવાનું છે...દિવસ વધારે આપી સરસ ફરવાની મોજ માણજો 🙏🙏🙏
ઓમકારેશ્વર માં ભક્ત નિવાસ રહેવા માટે સારી જગ્યા છે
યુ ટ્યુબ પર વિડિયો જોવા મળશે
મહેશ્વર માં મહેશ્વરી સિલ્ક ની સાડી પ્રખ્યાત છે
ગુજરાત હેન્ડલૂમ સારી દુકાન છે
અમે ત્યાં થી લીધી હતી
ભાવ દરેક જગ્યાએ કસે છે
नमस्कार मित्रों आज मैं आपको #उज्जैन की एक #धर्मशाला की जानकारी साझा कर रहा हूँ जो की #महाकालमन्दिर के बिल्कुल सामने है, यहाँ से #भारतमाता मन्दिर और महाकाल कारिडोर बिल्कुल नजदीक है, इस धर्मशाला का नाम है यादव धर्मशाला, जहाँ आपको 300 मे साधारण रूम मिल जाता है,जिसमे 5 व्यक्ति रात्रि विश्राम कर सकते हैं, और अच्छी सुविधा वाला बड़ा कमरा 800 मे मिल जाता है जिसमे 5 व्यक्ति रात्रि विश्राम कर सकते हैं, अगर 1log ज्यादा हैं तो 100 रुपये और लगेगा, और अगर 3 लोग हैं तो 600 मे बड़ा रूम मिल जाता है और अगर 1vyakti ज्यादा है तो 100 ₹ और लगेगा, इनकी रेट लिस्ट मे आप देख लेना, और क्या क्या सुविधा है, इस समय उज्जैन मे रुकना बहुत ही ज्यादा महंगा है,अभी मैं july मे दर्शन करने गया गया था तो कहीं भी 1800 से 2200 के नीचे कहीं भी AC रूम नहीं था, बड़ी मुश्किल मे एक 1500 मे मिला था, ये जानकारी उनके काम की है जो कम कीमत मे यात्रा करना पसंद करते हैं ज्यादा अच्छी तो नहीं बोलूँगा, लेकिन मन्दिर के बिल्कुल सामने है यही बहुत अच्छा है, और उज्जैन मे इस समय रूम बहुत ही महंगे हो गए हैं जब से महाकाल कॉरिडोर शुरू हुआ है , धर्मशाला के अगल बगल ही बहुत अच्छे खाने पीने के luxury होटल और मार्केट है, शायद मेरी इस धर्मशाला की जानकारी से किसी मित्र का भला हो सके, एक बात और अगर कोई मित्र जो कभी इस धर्मशाला मे रुका हो तो अपना अनुभव जरूर share करना, 🚩🚩हर हर महादेव 🙏🙏
ભગવાન શ્રીકૃષ્ણની અમૃતવાણી સમસ્ત
માનવજાતના કલ્યાણ અર્થે આજના મોક્ષદા એકાદશીના પરમ પવિત્ર દિવસે વૈદિક(હિન્દૂ)
ધર્મ નો ધર્મગ્રંથ 'શ્રીમદ ભગવદ્દગીતા' ના રૂપે
આપણને પ્રાપ્ત થયો
આજે
શ્રી ભગવત ગીતાની ઉત્પત્તિ ને 5159 વર્ષ પૂર્ણ થયા.
શું તમે માની શકશો..અણુબોમ્બ ના સર્જક જુલિયસ રોબર્ટ ઓપેનહાયમર અણુબોમ્બ નું પ્રથમ પરીક્ષણ કરે ત્યારે જ તે ભાગવત્ ગીતા નો શ્લોક ઉચ્ચારે..?
હા,
સાચી વાત છે.. ભાગવત્ ગીતા ના 11 મા અધ્યાય નો
32 મો શ્લોક નું ઉચ્ચારણ કરે છે..પણ શા માટે...?
#કાલોષ્મી_લોકક્ષયકૃત્પ્રવૃધ્ધો
#લોકન્સમાહતૃમિહ_પ્રવૃત:
#ઋતેપી_ત્વાં_ન_ભવિષ્યન્તી_સર્વ
#યેવસ્થીતા_પ્રત્યેનીકેસૂ_યોધા:
મૂળ
વાત એ છે કે આ અણુબોમ્બ ના સર્જક જુલિયસ રોબર્ટ ઑપેનહયમર સ્વામિ વિવેકાનંદ થી ખૂબ
જ પ્રભાવિત હતા અને તે તેમને આદર્શ માનતા. સ્વામી વિવેકાનંદ ની અંગ્રેજી ભાષા મા
અનુવાદિત ભાગવત્ ગીતા ઉપર તેમનું ખૂબ ઊંડું અધ્યયન હતું.
જ્યારે
તેમને પ્રથમ વખત અણુબોમ્બ નું 1945 મા પરીક્ષણ કર્યું
ત્યારે તેમના વિસ્ફોટ નું ભયાનક પરિણામ જોય ને આં શ્લોક નું ઉચ્ચારણ કરતાં કહ્યું
કે ... શ્રી કૃષ્ણ દ્વારા #ગીતા_મા_જે_બ્રંહાસ્ત્ર_નો_ઉલ્લેખ_છે_તે_અણુબોમ્બ_સમાન_જ_છે
રોબર્ટ
જુલિયસ ઓપેંનહાયમર્ મુળ યહૂદી હતા અને તે ભાગવત્ ગીતા ને મૂળ સ્વરૂપે જોવા,
જાણવા અને સમજવા ભારત આવ્યા હતા અને તે માટે તે સંસ્કૃત પણ શીખ્યા
હતા.
તે
કહેતા કે પશ્ચિમ ના દેશો એ જો નવું શીખવું હોઈ તો
ભારતદેશ મા આવી ને ભાગવત્ ગીતા નું અધ્યયન કરવું જોઈએ અને તેમાં
સમગ્ર માનવજાત નું હિત સમાયેલું છે.
શ્રીમદ્દ
ભગવદ્દગીતા કોઈ ગ્રંથ નથી જીવન જીવવાની જડીબુટ્ટી છે.
વિશ્વ નો એકમાત્ર ધર્મગ્રંથ જે ભગવાન ના સ્વમુખે બોલાયેલ છે ,તેથી જ આ ગ્રંથ ને શ્રી મદ ભગવદ ગીતા કહે છે. અને એકમાત્ર ગ્રંથ જેની જન્મ
જયંતિ ઉજવાય છે
પરમ દિવ્ય જ્ઞાન જે સૃષ્ટી ની શરુઆત થી સૂર્યનારાયણ એ આપેલ જે
સમયાન્તરે વિસરાય જતા શ્રીમ્ન્ન્નારાયણા ના અવતાર શ્રી કૃષ્ણ પરમાત્મા એ આજના
દિવસે કુરુક્ષેત્ર ના મેદાન માં અર્જુન ને જે વિષાદ થતા અર્જુન ને નિમિત બનાવી ને
સમગ્ર માનવજાત ના કલ્યાણ માટે જીવન વિકાસ અને જીવન જીવવા ની જડીબુટ્ટી આપી માનવ ને
મુંજવતા સામાજિક ,આર્થિક ,કૌટુંબિક પ્રશ્નો નો
ઊંડાણ પૂર્વક નો અને સચોટ ઉકેલ આપ્યો , વેદ વ્યાસ રચિત આ
ગ્રંથ માં ૧૮ અધ્યાય અને આશરે ૭૦૦
શ્લોક સમગ્ર માનવ જાત ને હજારો વર્ષ થી માર્ગદર્શન આપતો આવ્યો છે અને શાસ્વત સમય
સુધી આપતો રહેશે.
नष्टो मोह: स्मृतिर्लब्धा
त्वतप्रसादानमयाच्युत ।
स्थितोस्मी गत संदेह:
करिष्ये वचनन तव ।।
સાભાર
અંજનભાઈ પાનસુરિયા
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