ममलेश्वर महादेव मंदिर हिमाचल के बारे मैं आप सभी को बताना चाहता हू।
आप सभी ने महाभारत देखी है उस मे एक प्रषंग आता है जिस मैं पाडव एक परिवार के घर मैं गांव मैं रहते थे और ओर एक दिन उस परिवार के एक सदस्य को वहाँ के एक राक्षस के पास भोजन बनकर ओर भोजन लेकर जाना होता है तो भीम उस परिवार के सदस्य की जगह जाता है और राक्षस को बुलाने के लिए डोल बजाता हैं और राक्षस के आने पर उस को भीम मारदेता है ।
इस इस्थान पर ही ममलेश्वर महादेव का मंदिर है।
यह बिल्कुल सच है कि हिमालय की गोद में बसें ममलेश्वर महादेव के मंदिर में पांडवों के दौर का पांच हजार साल पुराना 200 ग्राम गेंहू का दाना और भीम का ढोल है। इसे यहां सदियों से सहेजकर रखा गया है।
200 ग्राम का गेंहू का दाना महाभारत काल है। देवभूमि हिमाचल के करसोग जिला में स्थित ममलेश्वर महादेव के मंदिर में इसे आज भी सहेजकर रखा गया है।
मान्यता है कि यह गेंहू का दाना पांडवों ने उगाया था। उसी समय से इसे यहां रखा गया है।
हिमाचल के मंडी जिले की करसोग घाटी के ममलेग गांव में स्थित मंदिर में रखा यह गेंहू का दाना करीब 5000 हजार वर्ष पुराना है। मंदिर में जाने पर आप पुजारी से कहकर इस दुर्लभ गेंहू के दाने को देख सकते हैं।
ममलेश्वर मंदिर का पांडवों से गहरा नाता है। इस मंदिर में एक प्राचीन ढोल है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह ढोल भीम का है।
ममलेश्वर महादेव के मंदिर में एक धुना है। इसको लेकर मान्यता है कि यह महाभारत काल से निरंतर जल रहा है।
इसके अलावा मंदिर में स्थापित पांच शिवलिंगों के बारे में मान्यता है कि यह पांडवों ने ही यहां स्थापित किए हैं। मंदिर भी महाभारत काल ही बताया जाता है।ममलेश्वर महादेव के मंदिर भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है।
ममलेश्वर मंदिर जाने के लिए आप हिमाचल पहुंचकर मंडी और शिमला दोनों रास्तों से करसोग पहुंच सकते हैं। ममलेश्वर महादेव का मंदिर करसोग बस स्टैंड से मात्र दो किलोमीटर दूर है।