Thursday, November 30, 2023

पंच प्रयाग

देवभूमि उत्तराखंड मैं पाँच प्रयाग स्थित है l पंचप्रयाग में माँ गंगा जी की कई धारा का मिलन होता है,अंततः देवप्रयाग में सभी "अस्सी गंगा" का मिलाप हो जाता है,तत्पश्चात् देवप्रयाग में सम्पूर्ण गंगा हो जाती है l "अस्सी गंगा" आपने यह शब्द अधिकतर सुना होगा l कथा इस प्रकार है,राजा भागीरथ ने अपने कुल को तारने के लिए,स्वर्गरोहिनी,पतितपावनी,मोक्षदायिनी माँ गंगा को धरती पर लाने का तप किया,तप इतना घोर था कि,अघोर भगवान शिव भी गंगा की विध्वंसकारी वेग को भारतवर्ष के कल्याण हेतु जीवनदायिनी,सुगम व सुचारु बनाने के लिए मान गये l


अब श्रीहरि विष्णु से आज्ञा ले गंगा स्वर्गलोक से मृत्युलोक की ओर चली,चली तो सही पर,आनंद में नही चली,गंगा स्वर्ग से उन्माद में चली,स्वर्ग का बिछोह था,दुःख था,आक्रोश था,तो गंगा पूर्ण वेग,भयंकर गर्जना,और प्रलयंकारी रूप धर भू-लोक को पाताल लोक तक धकेलने के विचार से चली l स्त्री थी,ओर स्त्री का क्रोध भी तांडव ही है l जब गंगा जी विशाल - विकराल रूप धर,अट्‍टहास करती पृथ्वी की ओर बढ़ी,तब आवाज इतनी भयंकर थी की,समस्त सजीव -निर्जीव,चर- अचर..प्राणी,पदार्थ,वस्तु के बीच हड़कंप मच गया, गंगा का वेग इतना तीव्र था कि,सलिल भी आंधी में बदल गई,बवंडर चलने लगे l


तब महादेव जी ने गंगा को अपनी विशाल जटाओं से लपेट लिया,गंगा जब जटाओं में उलझने लगी,भयंकर विरोध करने लगी,तब महादेव ने गंगा की विशाल जलराशि को अस्सी भागो में बाँट दिया l आज इन अस्सी धारा को ही अस्सी गंगा और महादेव को गंगाधर कहा जाता है l आज भी यह अस्सी गंगा उत्तराखंड में बहती है l जो देवप्रयाग में मिलकर पूर्ण गंगा बनाती है l इन्हीं अस्सी गंगा धारा की मुख्य नदियों के पाँच प्रमुख संगम है l 


पंचप्रयाग संगम का संक्षेप में विवरण इस प्रकार है l


1) प्रथम प्रयाग : विष्णुप्रयाग

श्री बद्रीनाथ धाम मार्ग पर,बद्रीनाथ जी से 31 km पहले,विष्णुप्रयाग पड़ता है l यहाँ अलकनंदा नदी और धौली गंगा नदी का संगम होता है l


2) द्वितीय प्रयाग : नंदप्रयाग

चमोली से 40 km आगे जोशीमठ मार्ग पर नंदप्रयाग पड़ता है l यहाँ अलकनंदा नदी व नंदाकिनी नदी का संगम होता है l


3) तृतीय प्रयाग : कर्णप्रयाग

कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी और पिंडर नदी (पिदार गंगा ) का संगम होता है l


4) चतुर्थ प्रयाग : रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी व मन्दाकिनी नदी का संगम होता है l


5) पंचम प्रयाग : देवप्रयाग

देवप्रयाग में अलकनंदा नदी व भागीरथी नदी का संगम होता है l इन दोनों के संगम से ही आगे गंगा जी बहती है l


प्रयाग या संगम के विषय में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि,जब दो नदियां आपस में मिलती है,संगम होता है,तो संगम से आगे उसी नदी का नाम रहता है,जिसका बहाव तेज हो,जिसमें पानी ज्यादा हो..जैसे की पहले चार प्रयाग में अलकनंदा नदी का ही नाम रह जाता है..लेकिन देवप्रयाग में भागीरथी जी और अलकनंदा में समान प्रवाह,समान जलराशि है,और जहाँ दोनों नदी समान हो वहाँ संगम के बाद आगे वाली नदी को अलग नाम दे दिया जाता है..जैसे की माँ गंगा 🙏

इतिसिद्धम 😊


Thanx

Trilok Raj