Saturday, December 2, 2023

पंच केदार

पंच केदार मंदिर समूह उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के केदारखंड में स्थित है l पंच केदार में प्रथम केदारनाथ, द्वितीय मध्यमहेश्वर, तृतीय तुंगनाथ, चतुर्थ रुद्रनाथ, पंचम कल्पेश्वर आते है l इन पांचो स्थान में भगवान शिव को समर्पित पौराणिक मंदिर है l पंच केदार का वर्णन सकन्द पुराण में वर्णित है l महाभारत ग्रंथ में भी पंच केदार का उल्लेख मिलता है l


#पंच_केदार_कथा

पुराणों के अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात् पांडवो को भ्रातृहत्या का दोष लग गया l भगवान कृष्ण के कहे अनुसार पांडव इस पाप से मुक्त होने के लिए देवों के देव महादेव के दर्शन व आशीर्वाद लेने हेतु महादेव के पास जा पहुँचे,किन्तु शिव पांडवों को दर्शन नही देना चाहते थे l इसलिए शिव रुष्ट होकर केदारखंड में छुप गये,जब केदारखंड पहुँचकर भी पांडवों को शिव के दर्शन नही हो पाये,तब पांडव शिव को व्याकुलता से खोजने लगे l कई वर्ष बीत जाने के बाद महादेव को लगा की पांडव उन्हें खोज लेंगे l शिव जी महाराज तब बैल का रूप धर,पशुओ के बीच चलने लगे l भीम को शंका हो गईं की हो ना हो महादेव इन्हीं पशुओ के बीच छिपे है l भीम ने विकराल रूप धर दो विपरीत विशाल चट्टानों पर पैर रख लिए और बाक़ी पांडव उन पशुओ को भीम के पैरों के नीचे की ओर हाँकने लगे l सभी गाय और बैल भयभीत होकर भीम के पैरों के नीचे से निकलकर भागने लगे,लेकिन शिव रूपी बैल भीम के पैरों से उल्टी दिशा में भागने लगा l भीम समझ गये कि यही भोलेनाथ है,महाबली भीम ने दौड़कर बैल के कूबड़ को दबोच लिया l जब भीम शिव रूपी बैल को काबू करने का प्रयास कर रहे थे,तभी शिव धरती के अंदर समाने लगे l मगर फिर भी भीम ने बैल की पीठ नही छोड़ी l तब महादेव ने पांडवों के इस हठ भक्ति योग से समर्पित व प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिये व पाप मुक्त किया l


शिव के पृष्ठ भाग या पीठ का भाग केदारनाथ में ,  मध्य भाग नाभि मध्यमहेश्वर में, भुजायें और हृदय तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुई, अग्र भाग पशुपतिनाथ नेपाल में प्रकट हुआ,बाद में पांडवों ने इन जगहों पर मंदिरों का निर्माण करवाया l


#केदारनाथ_धाम

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से सर्वप्रथम धाम है l यह 12 ज्योतिर्लिंग में भी सबसे ऊँचे ज्योतिर्लिंग है l यह प्रथम केदार है l यहाँ शिव के पृष्ठ भाग के दर्शन होते है l केदारनाथ धाम समुन्द्र तल से लगभग 3584 मीटर ऊँचाई पर स्थित है l केदारनाथ जी की पैदल यात्रा गौरीकुंड से प्रारम्भ होती है l गौरीकुंड से 20 km पैदल यात्रा के पश्चात केदारनाथ धाम पहुँचा जाता है l ऋषिकेश से 235 km वाहन द्वारा गौरीकुंड पहुँचने के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है l केदारनाथ जी के मंदिर के कपाट वर्ष में छह माह दर्शनार्थ खुले होते है l केदार बाबा शीतकाल में छह माह ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होते है l


#मध्यमहेश्वर_केदार 

द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर मंदिर में महादेव के मध्य भाग नाभि के दर्शन होते है l मध्य भाग होने के कारण ही मध्यमहेश्वर कहा जाता है l मध्यमहेश्वर केदार समुन्द्र तल से 11470 फीट पर स्थित है l यहाँ के लिए पैदल यात्रा ऊखीमठ ब्लॉक के रांसी गाँव से शुरू होती है l रांसी गाँव से 18 km पैदल चलकर मध्यमहेश्वर के दर्शन होते है l ऋषिकेश से रांसी गाँव 207 km वाहन से पहुँचा जा सकता है l मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट भी छह माह दर्शनार्थ खुले होते है l मध्यमहेश्वर जी की शीतकालीन गद्दी भी ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में शीतकाल छह माह विराजमान होती है l


#तुंगनाथ_केदार

तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर विश्व में सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर है l तुंगनाथ मंदिर में शिव की भुजाओं और हृदय के दर्शन होते है l तुंगनाथ जी समुन्द्र तल से लगभग 3680 मीटर ऊँचाई पर स्थित है l यहाँ के लिए पैदल यात्रा चोपता से शुरू होती है l चोपता से 4 km पैदल चलकर तुंगनाथ मंदिर पहुँचा जाता है l ऋषिकेश से चोपता 165 km वाहन से पहुँचना होता है l तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी छह माह के लिए दर्शनार्थ खुले होते है l शीतकाल के छह माह तुंगनाथ जी मक्कू गाँव के मक्कूमठ  में विराजमान होते है l


#रुद्रनाथ_केदार

चतुर्थ केदार रुद्रनाथ जी की यात्रा सभी केदार में सबसे कठिन है l यह मंदिर एक गुफा में बना है l यहाँ शिव के मुख के दर्शन होते है l एक मुख होने के कारण इन्हें एकानन भी कहा जाता है l रुद्रनाथ जी समुन्द्र तल से लगभग 3000 मीटर ऊँचाई पर स्थित है l रुद्रनाथ जी की पैदल यात्रा गोपेश्वर के सगर गाँव से शुरू होती है l सगर गाँव से 20 km पैदल यात्रा के बाद रुद्रनाथ जी के दर्शन होते है l ऋषिकेश से सगर गाँव 217km वाहन से  पहुँच जाते है l रुद्रनाथ मंदिर के कपाट छह माह के लिए दर्शनार्थ खुले होते है l गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में रुद्रनाथ जी शीतकाल के छह माह विराजमान रहते है l


#कल्पेश्वर_केदार

पंचम केदार कल्पेश्वर मंदिर में महादेव की जटा के दर्शन होते है l यह मंदिर भी एक गुफा में स्थित है l कल्पेश्वर मंदिर की  समुन्द्र तल से लगभग 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है l यहाँ आप पूरे वर्ष दर्शन कर सकते है l ऋषिकेश से कल्पेश्वर की मोटर मार्ग से दूरी 253km है l गाड़ी से उतरने के बाद आप लगभग 100-200 मीटर ही पैदल चलकर कल्पेश्वर मंदिर जा सकते है l


#कितने_केदार

अब केदार कितने है,इसमें भी कई

विभिन्न मत है l केदारनाथ,मध्यमहेश्वर,तुंगनाथ,रुद्रनाथ,कल्पेश्वर,पशुपतिनाथ इन मंदिरो में बाबा केदार के शरीर के अलग-अलग भाग है,इसलिए मुख्य रूप से इन्हीं केदार को मान्यता है l

लेकिन कहा यह भी जाता है कि,पांडव द्वारा खोजे जाने से पहले भगवान केदारेश्वर हिमालय में कई जगह साधु वेश में छुपते फिरे,जहाँ गये योगी रूप में जन-जन का कल्याण किया l इसलिए जहाँ-जहाँ बाबा केदार गये,वहाँ इनके मंदिर पाये जाते है l इनमें से वासुकेदार,कल्पकेदार,वृद्धकेदार,अर्द्धकेदार,आदिकेदार,छिपला केदार और बूढ़ा केदार मुख्य है l

बूढ़ा केदार में भगवान केदार के सम्पूर्ण शरीर के दर्शन होते है l भविष्य पुराण के अनुसार जब नर-नारायण पर्वत मिलेंगे और केदार-बद्री में भयंकर प्रलय आयेगी,तब केदारनाथ,बद्रीनाथ के रास्ते बंद हो जायेंगे l और बद्रीनाथ जी के दर्शन भविष्य बद्री,केदारनाथ जी के दर्शन बूढ़ा केदार में होंगे l

जय बाबा केदार 🙏🙏

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