केदारनाथ से सम्बंधित अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर इस पोस्ट के माध्यम से आप तक पहुंचे ।
■◆ पहला विकल्प :-
आप देश के किसी भी शहर से आ रहे है आपको हरिद्वार या ऋषिकेश तक आना है, यहां तक आने के लिये आप बस और ट्रेन का विकल्प ले सकते है, इससे आगे की यात्रा आप बस से कर सकते है, जिसके लिए आप हरिद्वार पहुंचते ही मुख्य बस अड्डे से शाम को ही अपनी सीट केदारनाथ के लिए बुक करा सकते है जिसके लिए आपको सोनप्रयाग का टिकट मिलेगा, सुबह बस के चलने का समय मालूम कर निश्चिन्त होकर हर की पौड़ी पर गंगा स्नान और गंगा आरती का आनंद लेकर रात्रि विश्राम करें, सुबह अपनी बस पकड़े और यात्रा का श्रीगणेश करें, यह बस आपको बीच में चाय नाश्ता व लंच के लिए स्टॉपेज देती है और आप शाम 5 बजे तक केदारनाथ हेतु सोनप्रयाग पहुंच जाते है । सोनप्रयाग से केदारनाथ की जानकारी पोस्ट में आगे मिलेगी ।
■◆ दूसरा विकल्प - अपने वाहन से (कार या बाइक से) आप यह यात्रा कर सकते है, आप 4, 6, 8 लोगों के ग्रुप में बाइक से इस यात्रा को कर सकते है जिसमें बेहद आनंद है, आप हरिद्वार तक बस या ट्रेन से आये है लेकिन आगे का सफर आप बाइक से करना चाहते है तो आपको ऋषिकेश से बाइक या स्कूटी प्रतिदिन के हिसाब से रेंट पर मिल जाएगी ये भी विकल्प है, अब आगे इस यात्रा में आप अपनी मर्जी से दृश्यों को अपने कैमरे या मोबाइल में कैद करते हुए पहाड़ो, घाटियों, झरनों के मनोरम दृश्यों के साथ चाय की चुस्कियों का लुत्फ लेते हुए इस दूरी को कवर कर सकते है जिसके लिए आप बाइक से हो या अपनी गाड़ी से हरिद्वार से सुबह जल्दी ही फ्रेश होकर सुबह 5 बजे निकल ले, ऋषिकेश से 70 किमी की दूरी देवप्रयाग संगम पर पहला ब्रेक ले और भागीरथी व अलकनंदा के पावन संगम स्नान का पुण्य लाभ ले, यहाँ से आप बाबा केदार के लिए जल भी ले सकते है जिसके लिए यहां घाट के ऊपर ही कैन मिल जाती है या आप घर से लेकर जा सकते है, घाट से ऊपर आकर चाय नाश्ता करें फिर यहां से आप 46 किमी आगे माता धारी देवी के दर्शन करें, दर्शन बाद आप यहां लंच कर सकते है, यहां से 20 किमी रह जाता है रुद्रप्रयाग, यहां भी लंच कर सकते है, यहीं से केदारनाथ के लिए आपको बाएं जाना है अर्थात सोनप्रयाग, जो कि लगभग 72 किमी रह जाता है और यहीं से ही दाएं आप बद्रीनाथ जी के लिये मार्ग चुन सकते है ।
अब आप लगभग शाम 5 से 6 तक सोनप्रयाग पहुंच जाएंगे, बाइक को पार्किंग में लगा दे, शुल्क 100 रुपये है, यहीं आप बजट के अनुसार होमस्टे या कमरा लेकर भोजन उपरान्त रात्रि विश्राम करें, (आप सोनप्रयाग से 2 किमी पहले सीतापुर में भी रूक सकते है अच्छी व्यवस्था मिल जाएगी), जैसा आपको उचित लगे, अगले दिन सुबह जल्दी उठकर आप यहां अपने सामान की सुरक्षा हेतु होटल या गेस्टहाउस मालिक से बात कर रूम छोड़कर अपना सामान जमा कराए या आपको अगर रूम ही सही लग रहा हो तो रूम को ही अपने पास रखे, यहाँ से थोड़ा जल्दी निकलकर आप पैदल भी 15 से 20 मिनट में टैक्सी स्टैंड सोनप्रयाग बड़े पुल तक पहुंच सकते है, यहीं से आपको गौरीकुंड के लिए टैक्सी मिलेगी जो आपको 20 से 25 मिनट में पहुंचा देगी गौरीकुंड, किराया 50 रुपये प्रति सवारी है ।
■◆ पैदल यात्रा :- गौरीकुंड से केदारनाथ का यह ट्रैक 18 किमी का है, आप यहां गौरीकुंड में चाय नाश्ता कर गौरी माता का आशीर्वाद ले पैदल यात्रा शुरु कर दे यदि आप सुबह 7 बजे यह यात्रा शुरू करते है तो आप शाम 5 तक बाबा के धाम पहुंच जाएंगे, प्रयास करें कि आप यह यात्रा पैदल ही करें माना कि कठिन है लेकिन इतना नही कि आप कर ही नही सकते, यदि आपकी मजबूरी है तो ही खच्चर को कष्ट दीजिए, मैं जब गया था तो अपने ग्रुप के 4 लोगों को समझाने में सफल हुआ पैदल के लिए जो खच्चर से यात्रा करने पर अड़े हुए थे, लेकिन उन्हें इतना आनंद आया कि बाद में पैदल के निर्णय पर बहुत खुश हुए और बोले कि इतना भी कठिन नही है कि हम 18 किमी यह दूरी न तय कर सके, वास्तव में अपना अनुभव यह है कि 18 किमी की दूरी में मात्र 5 से 6 किमी की चढ़ाई ही कठिन है, बाकी बड़े आराम से तय की जा सकती है। केदारनाथ की इस पैदल यात्रा के लिए अपने पास रखे पिट्ठू बैग जिसमें थोड़े ड्रायफ्रूट्स रखे (काजू , बादाम, मुनक्का), बिस्किट, चॉकलेट रख सकते है लेकिन अपनी आवश्यक दवाएं अवश्य रखे, ध्यान रहे कि बैग में केवल जरूरी ही सामान हो, फालतू वजन बिल्कुल न हो, रेनकोट अवश्य साथ में हो, यहां पैदल चलते हुए गला बहुत सूखता है इसलिए एक खाली पानी की बोतल हाथ में ही रख ले, पूरे ट्रेक पर मीठे पानी के झरने है जिसके आगे बिसलरी भी फेल है, बस थोड़ा थोड़ा भरते रहे और आवश्यकतानुसार घूंट घूंट पीते रहे, लेकिन पानी केवल गला सूखने पर ही थोड़ा थोड़ा पिये, इसमें आप ग्लूकोज़ (हरे पैकेट वाला इलेक्ट्रॉल) मिला सकते है बहुत काम की चीज है, ध्यान रहे कि ना ज्यादा देर विश्राम करें न ही लगातार चले, सांस फूलती महसूस हो तो 5 मिनट रुककर चले, रास्ते में चाय नाश्ते व भोजन की पर्याप्त व्यवस्था है, जैसे ही आप केदारनाथ पहुंचे तो जाते ही सबसे पहले रुकने की व्यवस्था करें, आप अकेले है तो GMVN के टैंट ले सकते है, अधिक लोग है तो कमरा ले आपकी इच्छा है अपने बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था के बाद आप आरती का आनन्द ले, केदारनाथ मंदिर के ठीक सामने ही दाएं कोने पर एक भोजनालय है जिसका भोजन उत्तम है और चाय भी, थोड़ा महंगा आपको लग सकता है जो कि विचार का विषय नही है आप समझते होंगें, अब आप रात्रि विश्राम के बाद सुबह 5 बजे रेडी होकर लाइन में लगे और दर्शन करें, यदि बाबा का पूजन करने की इच्छा हो तो किसी पण्डित जी से शाम को जाते ही सुबह के पूजन के लिए आप बात कर सकते है उनसे दक्षिणा भी तय कर ले। पूजन व दर्शन के बाद आप पीछे भीमशीला के दर्शन करें और वहीं शंकराचार्य जी की मूर्ति के भी दर्शन करें । अपनी वापसी समय से सुनिश्चित करें सुबह 8 या 9 बजे भी यदि आप चलते है तो गौरीकुंड तक आप शाम 3 बजे तक आ जायेंगे, यहाँ भोजन कर सकते है उसके बाद आप टैक्सी पकड़े और सोनप्रयाग आ जाये जहां आपने कमरा लिया हुआ है क्योंकि आपका शेष सभी सामान तो वहीं है । अब आप विश्राम करें । यदि आपको सुबह हरिद्वार या ऋषिकेश वापसी करनी है तो आप बस स्टैंड जाकर सुबह की टिकट अवश्य ले ले आपको सुविधा रहेगी ।
■◆ त्रियुगीनारायण दर्शन :- चूंकि आप सोनप्रयाग में है तो आपको बता दूं कि सोनप्रयाग से ही आपके लिए एक और अलौकिक मन्दिर के दर्शनों का विकल्प है जिसे कहते है त्रियुगीनारायण मन्दिर, यह सोनप्रयाग से अलग एक रोड़ जाती है जो कि केवल 13 किमी की दूरी है, यहां आप अपनी कार, बाइक या फिर टैक्सी से जा सकते है टैक्सी सोनप्रयाग से ही उसी मार्ग की स्टार्टिंग से आपको मिल जाएगी, त्रियुगीनारायण मन्दिर वह पावन स्थान है जहां माता पार्वती व महादेव शिव का विवाह ब्रह्मा जी एवं विष्णु जी की उपस्थिति में हुआ था, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस अग्नि के फेरे भोलेनाथ शिव व पार्वती माता ने लिए थे वह युगों युगों से आज तक जल रही है जिसके दर्शनों से बड़ा पुण्य मिलता है, साथ ही यहां एक कुंड है जिसका जल लेकर श्रद्धालु लेकर जाते है मान्यता है कि यह बहुत सारे गम्भीर रोगों को ठीक करने की शक्ति रखता है और कोरोना कॉल में बहुत से लोगों ने यहां पहुंचकर इस जल को ग्रहण किया था तब से यह मंदिर और अधिक चर्चा में आया है । सोनप्रयाग से आप 3 घण्टे में त्रियुगीनारायण दर्शन कर वापसी कर सकते है, इसके बाद आप आगे का कार्यक्रम समयानुसार निर्धारित कर सकते है ।
■◆ बद्रीनाथ जी जाने के लिए :- यदि आपको अब यहां से बद्रीनाथ जी जाने की भी इच्छा हो रही है तो यहां से सुबह सीधी बस भी बद्रीनाथ जी जाती है जो शाम से पहले ही आपको बद्रीनाथ जी पहुंचा देगी, इसके अलावा अपने वाहन (कार - बाइक) से आप चोपटा - मंडल - चमोली मार्ग से बद्रीनाथ जी के लिए जा सकते है लेकिन यह मार्ग सिंगल है और घने पहाड़ी जंगल से होकर गुजरता है, इसके अलावा दूसरा मार्ग वाया रुद्रप्रयाग है जिससे भी समय उतना ही लगना है यहाँ से आप चमोली, जोशीमठ, गोविंदघाट व पांडुकेश्वर होते हुए बद्रीनाथ जी पहुंच जाएंगे ।
■◆ बाइक हेतु जानकारी :- बाइक का इंजन, दोनों टायर, चेन सेट, हेडलाइट, इंडिकेटर, साइड मिरर ok हो, इंजन ऑइल नया पड़ा हुआ हो, नए ब्रेक शू हो, साथ में पम्प, एक एक्सट्रा टयूब, एक्स्ट्रा प्लग, बाइक की एक एक्सट्रा चाबी (मेन लॉक Key) व पंक्चर किट रखें, सभी डॉक्यूमेंट साथ में हो, हेलमेट दोनों लोगों पर हो, प्रत्येक 45 से 50 किमी पर 10 मिनट का रेस्ट बाइक को अवश्य दे, स्वयं भी 10 कदम की चहलकदमी करें, थकान का एहसास यदि हो तो मुँह धोते रहे, चाय व पानी पीते रहे, ताजे पानी से गीला रुमाल करके दोनों ऑंखो पर 10 - 10 सेकेंड के लिए रखें तब आगे बढे, पहाड़ो में अंधेरा होने से पहले ही रुकने का स्थान देख ले, रात में बाइक चलाने से बचे । इन सभी सावधानियों के साथ अपनी स्प्लेंडर 100 CC से 2 बार केदारनाथ, 3 बार बद्रीनाथ, 2 बार यमुनोत्री व 4 बार गंगोत्री कर चुका हूं । पूरी पोस्ट अनुभव के आधार पर लिखी गयी हैं 🙏
केदारनाथ के कपाट प्रत्येक वर्ष भैयादूज पर बन्द होते है, सबसे बढ़िया समय इस यात्रा का सितम्बर व अक्टूबर होता है हालांकि समय न मिलने के कारण मैं सदैव इस यात्रा को जुलाई (श्रावण माह की शिवरात्रि) में करते है इस दौरान हमें केवल बारिश से बचने के लिए सावधानियां रखनी होती है बाकी कोई समस्या नही आती, कमरा व भोजन भी अच्छे से मिलता है और भीड़ व महंगाई से भी थोड़ी राहत मिल जाती है ।
केदारनाथ धाम की यात्रा........
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है, और यह उत्तराखंड के चार धाम यात्रा का एक हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ तक कि यहाँ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर की त्रिमूर्ति के रूप में पूजा जाता है। केदारनाथ प्रसिद्ध मंदिर समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है | यहाँ की सुंदरता, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थान दुनियाभर में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
देश भर से तीर्थयात्री हर साल इस पवित्र यात्रा को अंजाम देते हैं। केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरो से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। हरिद्वार तक आप ट्रेन से आ सकते है। यहाँ से आगे जाने के लिए आप चाहे तो टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं।
इस तथ्य के बावजूद कि आप अपनी यात्रा कहाँ से शुरू करते हैं, यदि आप केदारनाथ के लिए सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो ऋषिकेश सामान्य बिंदु होगा। ऋषिकेश से केदारनाथ 227 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गौरीकुंड अंतिम बिंदु है जो सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है (ऋषिकेश से 216 किलोमीटर)। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की ट्रेक दूरी ~15 किलोमीटर है ।
गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप देहरादून या हरिद्वार/ऋषिकेश से बसों का विकल्प चुन सकते हैं। राज्य परिवहन की बहुत सारी बसें और साथ ही निजी तौर पर डीलक्स और वोल्वो बसें इन गंतव्यों के बीच चलती हैं। गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप कैब/टैक्सी किराए पर भी ले सकते हैं।
· कपाट बंद होने की तिथि: 20 नवंबर, 2024 या फिर भाई दूज ( केदारनाथ धाम कपाट के बंद होने की अंतिम तिथि विजयदशमी को घोषित की जाएगी।)
तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। या तो ट्रेक करें (यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा कर रहे हैं तो आप पोनी।पालकी भी बुक कर सकते हैं) या गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी हेलीपैड से उपलब्ध हेलीकॉप्टर सेवा का विकल्प चुनें।
ट्रेन द्वारा ऋषिकेश से केदारनाथ कैसे पहुँचें :
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन केदारनाथ से 227 किमी की दूरी पर है। आप प्री-पेड टैक्सी किराये पर ले सकते हैं जिसका किराया लगभग 5000 रुपये होगा। केदारनाथ पहुंचने के लिए आपको 205 किमी सड़क मार्ग से और 14 किमी पैदल यात्रा करनी होगी। आप हरिद्वार (250 किमी) तक भी यात्रा कर सकते हैं और आगे गौरीकुंड तक टैक्सी से यात्रा कर सकते हैं और फिर केदारनाथ तक 19 किमी की यात्रा कर सकते हैं।
वायुमार्ग द्वारा ऋषिकेश से केदारनाथ कैसे पहुँचें :
ऋषिकेश के लिए निकटतम हवाई संपर्क जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो 25 किमी की दूरी पर देहरादून में स्थित है, दिल्ली, बैंगलोर और मुंबई आदि से लगातार उड़ानें जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर आती हैं। देहरादून से आप टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस ले सकते हैं या फिर ट्रेन से भी ऋषिकेश तक यात्रा कर सकते हैं। ऋषिकेश पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से ऋषिकेश तक टैक्सी बुक करना है। ऋषिकेश से आगे की यात्रा टैक्सी या बस से करें और केदारनाथ की यात्रा पर निकलें।
हेलीकाप्टर द्वारा केदारनाथ कैसे पहुँचें :
हेलीकॉप्टर के माध्यम से ऋषिकेश से केदारनाथ पहुंचने के लिए आप बस, टैक्सी या ट्रेन के माध्यम से देहरादून तक यात्रा कर सकते हैं।
देहरादून से आप सहस्त्रधारा हेलीपैड तक पहुंच सकते हैं जो नागल रोड, कुल्हान, देहरादून पर स्थित है। हेलीकॉप्टर आपको 40 मिनट के भीतर पहुंचने में मदद करता है। हेलीकॉप्टर के माध्यम से ऋषिकेश से केदारनाथ की यात्रा करने का दूसरा तरीका फाटा तक टैक्सी बुक करना है जो ऋषिकेश से 193 किमी की दूरी पर है। फाटा के आसपास के अन्य स्थान जहां हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है, गुप्तकाशी और सिरसी हैं।
केदारनाथ के लिए आपको गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी से हेलीकॉप्टर मिलेगा जिसका किराया 2024 के लिए दोनो तरफ का गुप्तकाशी से 8126 रुपये, फाटा से 5774 रुपये और सिरसी से 8772 रुपये है।
सबसे महत्तव पूर्ण बात ये है कि आप हेलीकॉप्टर का टिकट केवल और केवल https://www.heliyatra.irctc.co.in से बुक करे ।किसी एजेंट से टिकट के लिए संपर्क नहीं करे।
बस द्वारा केदारनाथ कैसे पहुँचें :
हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 247 किलोमीटर है। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी को अगर आप सड़क मार्ग द्वारा पूरा करना चाहते हैं तो हरिद्वार से केदारनाथ मार्ग पर कई विकल्प जैसे बस, टैक्सी, शेयर कैब आदि उपलब्ध हैं। केदारनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ मार्ग पर सोनप्रयाग-गौरीकुंड तक सड़क मार्ग है। बाहरी वाहनों द्वारा सोनप्रयाग तक पहुंचा जाता है। सोनप्रयाग में राज्य की सबसे बड़ी पार्किंग है जहाँ सभी तरह के वाहन पार्क किये जाते हैं। इसके बाद लोकल टैक्सी की सहायता से 5-6 किलोमीटर आगे गौरीकुंड पहुंचा जाता है। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए पैदल ट्रेक शुरू होता है।
हरिद्वार बस स्टेशन से गौरीकुंड के लिए बसें उपलब्ध रहती है। हरिद्वार से गौरीकुंड के लिए हिमगिरि और GMOU बस सुविधा उपलब्ध हैं। अधिकतर बसें सुबहः 4 से 5 बजे के आसपास उपलब्ध होती हैं। बस का किराया सामान्यता 500 रुपये से 800 रुपये तक होता है।
ऋषिकेश से केदारनाथ के बीच यात्रा के दौरान आने वाले प्रमुख स्थान
(सड़क मार्ग से ऋषिकेश से केदारनाथ का मार्ग मानचित्र)
ऋषिकेश - देवप्रयाग (70 किमी) - श्रीनगर (35 किमी) - रुद्रप्रयाग (34 किमी) - तिलवाड़ा (9 किमी) - अगस्तमुनि (10 किमी) - कुंड (15 किमी) - गुप्तकाशी (5 किमी) - फाटा (11 किमी) - रामपुर (9 किमी) - सोनप्रयाग (3 किमी) )- गौरीकुंड (5 किमी)। फिर आगे चलकर केदारनाथ मंदिर तक जाएं क्योंकि गौरीकुंड से पैदल ही पहुंचा जा सकता है।
केदारनाथ में होटल के कमरे की कीमत :
केदारनाथ में रुकने की जगह और होटल के कमरों की कीमत सुविधाओं के आधार पर अलग अलग हो सकती हैं। वर्ष के किस समय आप जा रहे हैं, आप किस प्रकार का कमरा चाहते हैं और होटल द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
सामान्य तौर पर, केदारनाथ में होटल के कमरों की कीमत लगभग 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये प्रति रात तक हो सकती है।
यह सलाह दी जाती है कि आप अपने आवास को पहले से ही बुक कर लें, खासकर पीक सीजन के दौरान, क्योंकि केदारनाथ मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और आवास जल्दी भर सकते हैं।
यदि आप अपने कमरे को पहले से ही बुक कर लेते हैं या यदि आप अपनी यात्रा की तारीखों को लेकर लचीले हैं तो आप बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं। सबसे अच्छा सौदा खोजने के लिए विभिन्न होटलों में कीमतों की तुलना करना भी एक अच्छा विचार है।
केदारनाथ मंदिर के आसपास रुकने के लिए बाबा केदार कैंप हाउस, पंजाब सिंध हाउस एक अच्छी और सस्ती जगह है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक टेंट हाउस की तरह है जहां आप चैन के साथ रुक सकते हैं और आसपास की जगहों पर आसानी से घूम सकते हैं। बाबा केदार कैंप हाउस की तरह से एक लॉकर भी दिया जाता है जिसमें आप कीमती सामान आसानी से रख सकते हैं। इस कैंप में आप लगभग 400-600 रुपये के अंदर आसानी से रूम बुक कर सकते हैं।
केदारनाथ घूमने के लिए प्रमुख जगहों में से कुछ निम्नलिखित हैं.
· केदारनाथ मंदिर: केदारनाथ धाम का मुख्य आकर्षण है भगवान केदारनाथ का पवित्र मंदिर. यह मंदिर प्राचीनतम और पवित्रतम मंदिरों में से एक है और हिंदू धर्म के पांच धामों में से एक है।
·· वासुकी ताल: यह जलस्रोत ब्रह्मकामल ग्लेशियर के पास स्थित है और यहां यात्री चरम शांति की अनुभूति कर सकते हैं।
· वासुकी तालाब: यह ताल केदारनाथ मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां यात्री अपने रास्ते की सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।
· भैरवनाथ मंदिर: यह मंदिर केदारनाथ मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और भगवान भैरव को समर्पित है।
केदारनाथ घूमने के लिए ऊपर दी गई जगहों के अलावा भी आप आस-पास की प्राकृतिक सौंदर्य और पर्वतीय वातावरण का आनंद ले सकते हैं. यहां के खूबसूरत दृश्य और शांतिपूर्ण माहौल ने यहां को एक आकर्षक पर्वतीय तीर्थ स्थल बना दिया है।
यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप एक अच्छे शारीरिक आकार में हों। चूंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए एक लंबा और कठिन ट्रेक लगता है, इसलिए आपको दूरी तक चलने के लिए अच्छी सहनशक्ति की आवश्यकता होती है।
चूंकि मंदिर बहुत ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए अनुकूलन भी एक मुद्दा बन सकता है। सुनिश्चित करें कि आप इस तीर्थयात्रा को शुरू करने से पहले अच्छी तरह से जॉगिंग / तेज चलना शुरू कर दें।
यहां तक कि अगर आप गर्मी के महीनों में यात्रा कर रहे हैं, तो गर्म कपड़े, जैकेट, थर्मोकोट इनरवियर, रेनकोट, ऊनी मोजे आदि पैक करें क्योंकि सूर्यास्त के बाद तापमान बहुत जल्दी नीचे चला जाता है।
इसके अलावा टोपी, धूप का चश्मा और सनस्क्रीन लोशन भी साथ रखें क्योंकि सूर्य की किरणें दिन के समय बहुत कठोर हो सकती हैं। जब आप केदारनाथ की यात्रा कर रहे होते हैं तो वॉकिंग पोल और टॉर्च भी काम आता है।
चारधाम की यात्रा के लिए उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर यात्रा के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य है।