નહેરુ કુંડ મનાલી

नेहरू कुंड  का पानी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लिए दिल्ली तक ले जाया जाता था । नेहरू के नाम पर ही बाद में इस कुंड का नाम भी नेहरू कुंड पड़ गया । 


दरअसल बात वर्ष 1958 की है जब पहली बार प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू देवभूमि हिमाचल के मनाली दौरे पर आए। घूमते घूमते वे मनाली से पांच किलोमीटर दूर वह इस कुंड के पास पहुंचे और उन्होंने ग्लेश्यिरों से निकल रहे इस कुंड का पानी पीया |


स्‍थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि ये पानी सबसे साफ तो है ही, लेकिन कई हिमालय की दुर्लभ जड़ी बूटियों का रस भी इसमें घुला है जो कई बीमारियों को रोकता है ।


इसी दौरे के बाद मनाली की पहचान पर्यटक स्‍थल के तौर पर पहली बार देश ‌दुनिया को हुई थी। स्‍थानीय लोगों का कहना है कि इसके बाद जब भी प्रधानमंत्री मनाली दौरे पर आते थे वह इस कुंड का पानी जरूर पीते थे। ब्यास नदी के किनारे स्थित इस कुंड के आसपास का नजारा भी रमणीय है ।


इस कुंड के लिए पानी भृगु कुंड से आता है। यह रोहतांग के रास्ते में स्थित है। इसके लिए पानी ग्लेशियरों से मिलता है। 


रोहतांग जाने वाले रास्ते में पाए जाने वाले चश्मो और कुंडों का पानी कई बीमारियों से भी मुक्ति ‌दिलवाता है। यही वजह है कि हर वर्ष भादो के महीने में स्‍थानीय लोग इन कुंडो का स्नान करते हैं। उनका मानना है कि पानी में मिली दुर्लभ जड़ी बूटियां उन्हें कई बीमारियों से निजात दिलवाती है। 


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