एक समय था जब घरों में TV नहीं होते थे। और जाहिर है जब कोई चीज नहीं होती तो उसका क्रेज बहुत होता है। TV पर वैसे भी शाम से पहले कुछ आता नहीं था। सिर्फ 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड आती थी। और हमारे कैंपस के स्टाफ क्लब में एक ब्लैक एंड वाइट टेलीविज़न होता था।
26 जनवरी को परेड देखने के लिए क्लब में कोई 3-400 लोग इकट्ठा होते थे। एक 21" के TV को 40-50 फ़ीट से देख लेने का हुनर सिर्फ हमारे कैंपस के लोगों में ही पाया जाता था। हमसे एक जेनेरेशन पहले वाले लोग बताते हैं की वह लोग गणतंत्र दिवस परेड का सीधा प्रसारण "सुनते" थे =P
जसदेव सिंह साहब की कमेंट्री, प्रसारण शुरू होने से पहले बिस्मिलाह खान साहब की शहनाई, वो तोपों की सलामी, परेड में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रतीक्षा, लड़ाकू जहाजों को अपने घर की बालकनी में निकल कर देखना.... असल में 35-45 साल पहले केवल यही दिन होता था जब हम मेघालय के नृत्य देख पाते थे, या केरल का कथकली। अब हाथों में मोबाइल है, स्मार्ट टीवी हैं। सब आसानी से देखने जानने को मिल जाता है।
बहराहल अब माध्यम कई हैं पर फिर भी नौजवान अब परेड जो न सिर्फ भारत की सैन्य शक्ति का showcase है और कई झांकियां जो देश की विविधता को गौरव से दर्शाती हैं को देखते नहीं। 26 जनवरी अब सिर्फ छुट्टी की तरह इन्तेजार की जाती है। अमेज़न की सेल से लेकर बिग बाजार की शॉपिंग के लिए याद की जाती है।
सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं 💐💐💐