पाली, सिरोही और उदयपुर की सीमा से सटा महादेव का मंदिर है जहां श्रद्धालुओं को 50 फीट नीचे गुफा में उतरकर दर्शन करने पड़ते हैं। यह पाली जिले के बाली उपखंड के ग्राम पंचायत भीमाणा के पास मगरा क्षेत्र में सात किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच स्थित कासरोटा फली के पास स्थित है।
यह क्षेत्र उदयपुर की सीमा से सटा हुआ है। यहां मंदिर में शिव की अराधना होती है लेकिन शिवलिंग की स्थापना नहीं थी। कुछ समय पहले 16 युवाओं ने 125 किलो वजनी शिवलिंग व 50 किलो वजनी नन्दी की स्थापना की।
श्रद्धालु गुफा में उतरकर व दर्शन कर पूजा-पाठ करते हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर में जाने के लिए जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है। वहीं गुफा में जहां यह मंदिर हैं, वहां भी दर्शन करने के लिए जंजीरों को थामे हुए ही लोहे की सीढियां चढ़नी पड़ती हैं।
गुफा तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं होने से पत्थरों और पड़ों पर जंजीरों को बांधा गया है। श्रद्धालुओं को यहां तक पहुंचने के लिए काफी दुर्गम मार्ग का सामना करना पड़ता है कि लेकिन यहां कि मान्यता के कारण लोक प्रभु के दर्शन करने चले आते हैं। इस प्राकृतिक देव स्थान पर वैसे तो हर समय दर्शनार्थियों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन विशेषकर श्रावण तथा भादवा महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा है। यहां तक पहुंचने के लिए स्थानीय लोगों की मदद लेनी होती है। जहां मंदिर है, उसके ऊपर सालभर झरना बहता रहता है। अंदर गुफा में जाने के बाद भी करीब 10 से 15 फुट ऊपर भगवान विराजमान हैं और खास बात यह भी कि लोहे की सीढ़ियों पर खड़े-खड़े ही दर्शन करने होते हैं।