दिनांक 14 /12 /2023 को हम नर्मदा एक्सप्रेस से रात 11:00 बजे जबलपुर पहुंचे चुकी रात अधिक हो गई थी अतः हमने अपने होटल पहुंचने के लिए एक ऑटो बुक किया जो ₹200 में हमें हमारे होटल सत्यम रेजिडेंसी प्रेम नगर पोस्ट ऑफिस के पास तक ले गईl
होटल बहुत खूबसूरत था और आसपास बहुत शांति थी होटल वाले से हमने बारगेनिंग करके तीन दिन के लिए₹2500 में डबल बेड नान इसी रूम बुक किया वहां पहुंचने से पहले हमने फोन करके पूछ लिया था होटल वाले द्वारा रूम खाली होने की जानकारी दी गई थी (होटल का नंबर 0761 470 1100)
दिनांक 15 /12/2023 से हमने अपनी ट्रिप चालू की हम सुबह 9:00 बजे प्रेमनगर पोस्ट ऑफिस बस स्टॉप तक लगभग डेढ़ सौ मीटर पैदल गए वहां से हमें भेड़ाघाट के लिए मेट्रो बस मिल गई जिसने हमें₹35 प्रति यात्री के हिसाब से भेड़ाघाट धुआंधार जलप्रपात के पास पहुंचा दिया, धुआंधार जलप्रपात में हमने लगभग 3 घंटा बिताया, वहां से ऊपर जाकर रोपवे पॉइंट पर जाकर प्रति व्यक्ति 145 रूपए के दर से रोपवे का टिकट लिया तथा धुआंधार जलप्रपात के दूसरी ओर जाकर लगभग दो घंटा बिताया वापस आकर हमने पंचवटी नौका विहार के लिए ऑटो लिया जिसने हमें₹10 प्रति व्यक्ति के दर से पंचवटी नौका विहार पॉइंट तक पहुंचा दिया, पंचवटी में हमने 150 रुपए प्रति व्यक्ति के दर से नौका विहार का आनंद लिया, नौका विहार मार्बल राक के बीच बहने वाली नर्मदा नदी में बंदर कूदनी पॉइंट तक कराया जाता है, नौका विहार के समय कॉमेडी युक्त कामेट्री भी किया जाता है , इसी पॉइंट पर फिल्म प्राण जाए पर वचन न जाए, खून भरी मांग, मोहनजोदड़ो, अशोका फिल्म की शूटिंग भी हुई थी। पंचवटी नौका विहार पॉइंट से आने के पश्चात हमने 64 योगिनी मंदिर तक पैदल लगभग 300 मी की दूरी तय की 64 योगिनी मंदिर एक बहुत प्राचीन मंदिर है जिसमें शिव पार्वती की नंदी में बैठे हुए में मूर्ति स्थापित है, तथा चारों ओर गोलाकार परिक्रमा में 64 योगिनियों की मूर्ति स्थापित है बताया जाता है कि संसद भवन का डिजाइन यहीं से लिया गया था। मंदिर दर्शन करने के पश्चात शाम को वहीं से हमें मेट्रो बस मिल गई तथा हम प्रेम नगर बस स्टॉप पर आकर अपने होटल पहुंच गए इस प्रकार पहले दिन की यात्रा पूरी हुई।
दूसरे दिन सुबह हम प्रेमनगर नगर बस स्टॉप से शारदा चौक तक लाइन ऑटो में बैठकर पहुंचे वहां से लगभग 1 किलोमीटर पैदल चलकर बैलेंसिंग रॉक, मदनमोहन फोर्ट , देखा और शारदा मंदिर में दर्शन किये, वहां से फिर पैदल शारदा चौक तक आए शारदा चौक में हमने एक ऑटो 150 रुपया में बुक किया जो हमें कचनार सिटी शिव टेंपल तक छोड़ दिया, कचनार सिटी में भारत की दूसरी सबसे बड़ी शिव प्रतिमा है,
वहां से हमने बरगी डैम जाने का प्लान बनाया किंतु वहां तक जाने का साधन एवं जानकारी नहीं मिल पाया, तब हमने भेड़ाघाट दोबारा जाने का निर्णय किया तथा सिटी बस (यहां सिटी बस को मेट्रो बस के नाम से जाना जाता हैं) मैं बैठकर भेड़ाघाट के नौका विहार पॉइंट पंचवटी में उतर गए यहां से हमने 100 रुपए प्रति व्यक्ति के दर से नौका विहार का आनंद लिया पंचवटी में नौका विहार भेड़ाघाट का सबसे प्रमुख आकर्षण है क्योंकि नर्मदा नदी संगमगमारो के चट्टानों से होकर बहती है, इसको देखना एक अद्भुत अनुभव है। पंचवटी पॉइंट से वापस आकर हम ऑटो में बैठकर पुनः धुआंधार जलप्रपात के रोपवे पॉइंट पर पहुंचे तथा रोपवे का टिकट लेकर नर्मदा नदी के दूसरे पार पहुंचे, वहां से न्यू भेड़ाघाट दर्शन के लिए छोटी गाड़ियां चलती हैं जो बुकिंग में कम से कम प्रति व्यक्ति 150 या600 मैं पूरी गाड़ी बुक करती है हमने वहां से न्यू भेड़ाघाट तक पैदल जाने का निश्चय किया तथा थोड़ी दूर आधा किलोमीटर पैदल चले, आधा किलोमीटर बाद टर्निंग पर हमें चाय की दुकान दिखाई दी , उससे हमने न्यू भेड़ाघाट का रास्ता पूछा, उसने हमें₹100 में अपने बाइक देने का प्रस्ताव दिया हम उसकी बाइक लेकर लगभग 1.5किमी तक का सफर किया, न्यू भेड़ाघाट मैं हमने 2 घंटा समय बिताया, न्यू भेड़ाघाट अपने आप में अद्भुत है, यहां नर्मदा नदी संगमरमर चट्टानों के बीच होकर गुजरती है जिसका पूरा व्यू देखा जा सकता है भेड़ाघाट आने वालों को न्यू भेड़ाघाट जरूर जाना चाहिए क्योंकि सबसे अधिक प्राकृतिक, एवं नैसर्गिक दृश्य यही दिखाई देते हैं
वहां से शाम को हम मेट्रो बस पॉइंट पर आए वहां पता चला कि आज मेट्रो बस रैली के कारण कैंसिल है तब हमने लाइन ऑटो पकड़कर गोरखपुर छोटी लाइन चौराहा तक आए आए, वहां से गवारीघाट के लिए लाइन ऑटो मिलती है हम लाइन ऑटो पकड़कर ग्वारीघाट पहुंचे तथा संध्या आरती में भाग लिया दीपदान किया और नाव में बैठकर उस पार स्थित गुरुद्वारा पहुंचे वहां हमने कुछ समय बिताया एवं लंगर खाया वापस नाव से आकर नदी के बीच बने नर्मदा मंदिर में पूजा किया तत्पश्चात पुनःलाइन ऑटो पकड़कर छोटी लाइन चौक आए वहां से फिर लाइन ऑटो पकड़कर प्रेम नगर चौंक आकर अपने होटल में गए इस प्रकार दूसरे दिन का यात्रा पूरा हुआ।
तीसरे दिन प्रेम नगर चौक से लाइन ऑटो पकड़कर,,पिसनहारी की मडिया "" पहुंचे, संपूर्ण परिसर बहुत ही खूबसूरत है तथा दर्शनीय है, यह जगह जैन धर्म से संबंधित है नीचे महावीर स्वामी का जिनालय है तथा ऊपर जैन धर्म के तीर्थंकर एवं संतों से संबंधित मंदिर है, यह मंदिर एक चक्की पीसने वाली महिला ने बनवाया था जिसकी पूरी कहानी मंदिर परिसर में चित्रित है ऊपर पहाड़ी पर मंदिर क्रमांक 3 के शिखर में लगभग 650 साल पूर्व उस महिला द्वारा उपयोग की जाने वाली चक्की को जड़ दिया गया है, यहां एक धर्मशाला भी है, जो रुकने के लिए अच्छी जगह है।
यहां लगभग हम लोगों ने 2 घंटा समय बिताया वहां से हमने एक ऑटो बुक कर डुमना नेचर पार्क गए तथा वहां लगभग 4 किलोमीटर पैदल पार्क में भ्रमण किया किंतु हमें बंदर छोड़कर कोई भी जानवर नहीं दिखा पार्क के अंतिम छोर में एक जलाशय खडारी लेक है, जिसमें एक डेम (खंडारी डेम) है जिसका निर्माण 1884 में हुआ था, बरसात के समय यहां एक वॉटरफॉल बनता है किंतु अभी सुखा था, यह जगह केवल बरसात में आने लायक है, यहां एक डीजल इंजन से चलने वाली छुकछुक ट्रेन है, जिसमें भ्रमण का टिकट दर 10 रुपए है। पार्क में घूमने के पश्चात शाम को हम उसी ऑटो में बैठकर ""घंटाघर""रानी दुर्गावती संग्रहालय नेपियर टाउन के पास, भंवरलाल गार्डन, का भ्रमण किया, रानी दुर्गावती संग्रहालय संग्रहालय देखने लायक है, तथा भंवरताल गार्डन बहुत खूबसूरत गार्डन है जबलपुर में यह भी एक देखने लायक खूबसूरत जगह है, उसी ऑटो में बैठकर होटल काउंटर से हमने अपना सामान लिया, क्योंकि चेक आउट हम लोगों ने सुबह ही कर दिया था। उसी ऑटो से हम जबलपुर रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म 6 पर पहुंचे तथा दिनभर ट्रिप का 950 रुपए ऑटो वाले को दिए जबलपुर रेलवे स्टेशन में हमें बरगी दम तक जाने वाली मेट्रो बस दिखा, अर्थात रेलवे स्टेशन से बरगी डैम के लिए मेट्रो बस चलती है।
क्योंकि हमारी ट्रेन पेंड्रा रोड के लिए अमरकंटक एक्सप्रेस लेट थी हम लोग नमह प्रतीक्षालय में पहुंचे वहां एसी टिकट धारी के लिए 10 रुपए प्रति घंटे में सर्व सुविधायुक्त प्रतीक्षालय है तथा स्लीपर टिकटधारी के लिए नानएसी निशुल्क प्रतीक्षालय है चूंकि हमारी टिकट 3एसी की थी हमने वहां चेक इन किया तथा रात को अमरकंटक एक्सप्रेस से बैठकर सुबह पेंड्रा रोड पहुंचे इस प्रकार हमारी तीसरे दिन की यात्रा पूरी हुई।
सुबह पेंड्रारोड से शेयरिंग टैक्सी में 30 किमी अमरकंटक पहुंचे, वहां बस स्टैंड से लेकर नर्मदा मंदिर तक लगभग 2 किलोमीटर के रोड में बहुत सारे धर्मशालाएं दो-तीन धर्मशालाओं में रूम फुल होने की जानकारी होने के पश्चात हमें मृत्युंजय आश्रम में 600 रुपए में रूम मिल गया, रूम में पहुंचकर नहा धोकर हमने अमरकंटक बाइक से घूमने का प्लान किया किंतु गूगल नेट में बाइक रेंट पॉइंट सभी फर्जी निकले कहीं पर भी बाइक रेंट का बोर्ड नहीं दिखा बहुत पूछने के पश्चात नर्मदा डेयरी में (यात्री निवास के बगल में फोन न +91 62607 40428 )हमें बाइक रेंट 550 रुपए में शाम 5:00 बजे तक के लिए मिल गई।
बाइक से सर्वप्रथम हम नर्मदा मंदिर परिसर पहुंचे वहां दर्शन के पश्चात श्री यंत्र मंदिर, सोनगुढा (सोन नदी का उद्गम एवं वॉटरफॉल), माईकी बगिया, सर्वोदय जैन मंदिर (विश्व की सबसे वजनी अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा), कपिलधारा वॉटरफॉल, दूधधारा वॉटरफॉल, कबीर चबूतरा (सतगुरु कबीर साहब 1569 में बांधवगढ़ से पुरी जाते समय यहां पर रुके थे और कबीर चबूतरा में संतो के साथ सत्संग किए थे ), कबीर सरोवर, आरंडी गुफा
इत्यादि का भ्रमण करते हुए शाम 5:00 बजे बाइक वापस करके पैदल ही मार्केटिंग और खाना खाकर आश्रम में विश्राम किया। अमरकंटक में दूसरे दिन दोपहर 2:00 बजे तक नर्मदा मंदिर परिसर, एतिहासिक पुरातात्विक मंदिर समूह( कर्णेश्वर मंदिर समूह पातालेश्वर मंदिर,शिवमंदिर,विष्णु मंदिर जुहिला मंदिर सूरजकुंड पचमठा मंदिर सभी मंदिर आठवीं से 12वीं शताब्दी के मध्य में कलचुरी शासको द्वारा बनवाया गया था, सूरजकुंड में नर्मदा नदी का उद्गम आदि शंकराचार्य ने निश्चित किया था,,) का भ्रमण किया तथा उसके पश्चात बस स्टैंड आकर 3.15 की बस पकड़ कर शाम 7:00 बजे बिलासपुर पहुंच गए। इस प्रकार जबलपुर और अमरकंटक की यादगार यात्रा संपन्न हुई।